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Author(s):
विवेक शर्मा.
Research Area:
Education
Page No:
1-7
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डिजिटल क्रांति और शिक्षा प्रणाली: एक समालोचनात्मक अध्ययन
Abstract
डिजिटल क्रांति ने आज के युग में मानव जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है, और शिक्षा प्रणाली इससे अछूती नहीं रही है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के तीव्र विकास ने शिक्षा के पारंपरिक तरीकों में आमूलचूल परिवर्तन ला दिया है। इंटरनेट, स्मार्टफोन, और डिजिटल उपकरणों के प्रसार ने न केवल शिक्षा को अधिक सुलभ बनाया है, बल्कि इसे अधिक प्रभावी और लचीला भी बना दिया है। विशेष रूप से भारत जैसे देश में, जहां शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच में बड़ा अंतर है, डिजिटल क्रांति ने इस अंतर को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में जहाँ शिक्षक और छात्र का संवाद मुख्य माध्यम था, अब वह धीरे-धीरे ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल संसाधनों की ओर बढ़ रहा है। ऑनलाइन पाठ्यक्रम, ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, और डिजिटल पुस्तकालयों ने छात्रों और शिक्षकों दोनों को नई संभावनाएँ दी हैं। छात्रों के लिए दुनिया भर के ज्ञान तक पहुंच आसान हो गई है, और शिक्षक डिजिटल उपकरणों की मदद से अपनी शिक्षण विधियों को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
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Author(s):
सोनम सिंह.
Research Area:
Literature
Page No:
8-13
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महादेवी वर्मा का नारीवाद: स्त्री अस्मिता और स्वतंत्रता की तलाश
Abstract
महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की प्रमुख हस्तियों में से एक हैं, जिन्हें "छायावाद युग की महादेवी" के रूप में जाना जाता है। उनका साहित्यिक योगदान केवल काव्य तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने गद्य, निबंध, आत्मकथात्मक लेखन और पत्र साहित्य के माध्यम से भी अपनी सृजनशीलता का परिचय दिया। महादेवी वर्मा का साहित्य उनके गहन मानवीय दृष्टिकोण, संवेदनशीलता और समाज के प्रति जागरूकता का परिचायक है। वे न केवल एक कवयित्री थीं, बल्कि एक विचारक, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं, जिन्होंने भारतीय समाज में नारी के स्थान और उसकी स्वतंत्रता के प्रश्नों को गहराई से उठाया।
महादेवी वर्मा का नारीवाद उनके साहित्य में स्पष्ट रूप से उभर कर आता है। उनका नारीवादी दृष्टिकोण पश्चिमी नारीवाद की नकल मात्र नहीं है, बल्कि यह भारतीय संदर्भ में स्त्री की अस्मिता और उसकी स्वतंत्रता की खोज पर आधारित है। उन्होंने स्त्री के भीतर छिपी अदम्य शक्ति और उसकी पहचान को समाज के सामने लाने का प्रयास किया। महादेवी ने नारी को केवल गृहलक्ष्मी या त्यागमूर्ति के पारंपरिक रूप में नहीं देखा, बल्कि उसे एक आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी और स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया।
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Author(s):
Tejaswini Shivaram.
Research Area:
Other
Page No:
14-20
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The Psychological and Socioeconomic Impact of Recession on General Public
Abstract
This paper examines how economic recessions affect the general public, focusing on daily wage earners, salaried employees, small business owners, job seekers, and retirees. By analyzing inflationary pressures, unemployment fears, and shifts in financial behavior, this study highlights the recession's psychological toll and its impact on consumption, investment, and mental well-being. A survey of 50 participants in Bangalore provides firsthand insights, supported by secondary data. The findings emphasize the need for resilience-building strategies and proactive financial habits to mitigate the adverse effects of economic downturns.
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Author(s):
Jyoti, Kiran Devi.
Research Area:
Geography
Page No:
21-30
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Satellite-Based Vegetation Monitoring in Charkhi Dadri District: Trends of Deforestation and Afforestation from 1995 to 2024
Abstract
Using high-resolution satellite imagery from USGS Landsat 5 and Landsat 9, this study looks at the vegetation dynamics of Charkhi Dadri district, Haryana, India, from 1995 to 2024, with an emphasis on afforestation and deforestation patterns. By using spectral analysis and indexes like the NDVI, these datasets were crucial in identifying changes in the vegetative cover. According to the report, urbanization, mining, and agricultural growth were the main causes of the deforestation that resulted in the loss of 545.08 sq. km of vegetation. This is the study's unfavourable conclusion. Afforestation operations, on the other hand, resulted in the recovery of 160.85 sq. km, indicating that reforestation efforts were successful in some places. 323.55 square kilometres have unaltered vegetation, whereas 351.88 square kilometres are completely devoid of vegetation.
The district's southern and southwestern areas, where deforestation is most prevalent, show a net loss of vegetation, according to these data. In spite of that, reforestation initiatives in the central and northeastern regions demonstrate beneficial ecological interventions. Vegetation patterns in Charkhi Dadri are greatly influenced by the semi-arid environment, little groundwater, unequal rainfall distribution, and human activity.
In order to address the high pace of deforestation, this study highlights the necessity of more robust conservation laws, sustainable land use practices, and improved afforestation initiatives. It emphasizes how crucial it is to strike a balance between environmental sustainability and development in order to preserve the district's ecological integrity and keep its primarily agrarian economy.