Article Title |
जयशंकर प्रसाद का काव्य-सौंदर्य और छायावादी प्रवृत्तियाँ |
Author(s) | कोमल यादव. |
Country | India |
Abstract |
जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के युग-प्रवर्तक कवियों में से एक हैं, जिन्होंने छायावादी युग को न केवल दिशा दी बल्कि उसे अपनी अमर रचनाओं से गौरवान्वित भी किया। हिंदी साहित्य के इतिहास में छायावाद एक ऐसी धारा के रूप में उभरा, जिसने कविता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। छायावाद का मूल स्वर आत्माभिव्यक्ति, रहस्यवाद, प्रकृति प्रेम और भावनात्मक संवेदनशीलता था। इस आंदोलन ने न केवल काव्य की बाहरी बनावट को संवारा, बल्कि उसकी आत्मा में भी गहराई और कोमलता का संचार किया। जयशंकर प्रसाद का काव्य-सौंदर्य इन सभी विशेषताओं का उत्कृष्ट उदाहरण है। उनकी रचनाएँ भावनाओं की कोमलता, भाषा की मधुरता और सौंदर्य की पराकाष्ठा को प्रस्तुत करती हैं, जिससे पाठक के मन में एक गहन अनुभूति उत्पन्न होती है। जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे केवल कवि ही नहीं, बल्कि नाटककार, उपन्यासकार और कहानीकार भी थे। उनके साहित्य में भारतीय संस्कृति की गहन समझ और आध्यात्मिकता का समावेश देखने को मिलता है। छायावाद के प्रवर्तकों में जयशंकर प्रसाद का स्थान इसलिए भी अद्वितीय है क्योंकि उन्होंने कविता को केवल भावनात्मक अभिव्यक्ति तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसमें दर्शन और आध्यात्मिक चिंतन को भी स्थान दिया। उनकी रचनाएँ भारतीय परंपराओं और आधुनिक विचारधाराओं के बीच एक पुल का काम करती हैं। प्रसाद की सबसे प्रसिद्ध काव्य रचना 'कामायनी' इस बात का सशक्त प्रमाण है, जिसमें मानव मन की जिज्ञासाओं, संघर्षों और आदर्शों का व्यापक चित्रण किया गया है। |
Area | Literature |
Published In | Volume 1, Issue 4, August 2024 |
Published On | 30-08-2024 |
Cite This | यादव, . (2024). जयशंकर प्रसाद का काव्य-सौंदर्य और छायावादी प्रवृत्तियाँ. International Journal of Social Science Research (IJSSR), 1(4), pp. 37-45. |